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Beto wali vidhwa ||Munshi preamchand story|| in English || Part - 2||

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Boiled to hit the head against the wall.  The unfortunate went to manage the feast.  There is no limit to this stupidity, the religion of so many men has been destroyed.  Then why not get up?  Who will lose their religion by looking through their eyes?  Ho, all the action - earth got into the soil.  Water was lost for hundreds of rupees.  There was slander, he was different.  The food was lying on the board as many guests had risen.  The four streets stood ashamed in the courtyard.  They were accusing each other.  The elder daughter-in-law was fidgeting at her devotion.  The devranis used to put all the blame on the head of Kumud.  Kumud was standing and weeping .  At the same time, Phoolmati Mallayi came and said, 'Did the munt get soot or is there anything left?  Everyone drown and go to Chullu - a lot of water?  Somewhere in the city are not even able to show their face.  ' None of the boys gave the answer .  Phoolmati said even more fiercely, 'What to you?  Is anyone as

Beto wali vidhwa ||Munshi preamchand story|| in English || Part - 1||

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When the widow of sons, Pandit Ayodhyanath died, everyone said, God man had two such young sons, one girl.  All four boys were married, only the girl was a virgin.  The property was also left a lot.  A pucca house, two orchards, several thousand ornaments and twenty thousand cash widow Phoolmati mourned and remained unhappy for many days, but seeing the young sons in front, they were relieved.  All four boys one by one Sushil, all four daughters one by one - one more obedient.  When she would lie down at night, she would press her feet alternately, she would get up after taking bath, and then trimmed her sari.  He controlled the whole family .  The elder boy Kamta spent 50 rupees in an office.  But there was a servant, Chhora Umanath had passed the doctorate and was in the care of opening the auditorium somewhere, the third Dayanath B.  a .  I had failed and earned some money by writing articles in magazines, the fourth Sitanath was the most intelligent and promising among the four, an

बेटो वली विदवाह||Munshi preamchand story|| in Hindi || Part - 2||

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बैठ गये । दोनों ऐसा मुंह बनाये हुए थे , मानो कोई भारी विपत्ति आ पड़ी है । फूलमती ने सशक होकर पूछा , ' तुम दोनों घबड़ाये हुए मालूम होते हो । ' उमा ने सिर खुजलाते हुए कहा , ' समाचार - पत्रों में लेख लिखना बड़े जोखिम का काम है , अम्माँ ! कितना ही बचकर लिखो , लेकिन कहीं - न - कहीं पकड़ हो ही जाती है । दयानाथ ने एक लेख लिखा था । उस पर पांच हजार की जमानत मांगी गयी है । अगर कल तक जमानत न जमा कर दी गयी , तो गिरफ्तार हो जायेंगे और दस साल की सजा दुक जायेगी । फूलमती ने सिर पीटकर कहा , ' तो ऐसी बातें क्यों लिखते हो बेटा ? जानते नहीं आजकल हमारे दुर्दिन आये हुए हैं । जमानत किसी तरह टल नहीं सकती ? ' दयानाथ ने अपराधी - भाव से उत्तर दिया , ' मैंने तो अम्माँ ! ऐसी कोई बात नहीं लिखी थी , कि लेकिन किस्मत को क्या करू । हाकिम जिला इतना कड़ा है कि ज़रा भी रियात नहीं करता । मैंने जितनी दौड़ - धूप हो सकती थी , वह कर ली । ' तो तुमने कामता से रुपये का प्रबन्ध करने को नहीं कहा ? ' उमा ने मुंह बनाया - उनका स्वभाव तो तुम जानती हो अम्माँ , उन्हें रुपये प्राणों से प्यारे हैं । इन्हें च

बेटो वली विदवाह||Munshi preamchand story|| in Hindi || Part - 1||

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बेटों वाली विधवा पण्डित अयोध्यानाथ का देहान्त हुआ , तो सबने कहा , ईश्वर आदमी को ऐसी ही मौत दो चार जवान बेटे थे , एक लड़की थी । चारों लड़कों के विवाह हो चुके थे , केवल लड़की कुंआरी थी । सम्पत्ति भी काफ़ी छोड़ी थी । एक पक्का मकान , दो बगीचे , कई हजार के गहने और बीस हजार नकदा विधवा फूलमती को शोक तो हुआ और कई दिन तक बेहाल पड़ी रही , लेकिन जवान बेटों को सामने देखकर उसे ढ़ाढ़स हुआ । चारों लड़के एक - से - एक सुशील , चारों बहुएं एक - से - एक बढ़कर आज्ञाकारिणी । जब वह रात को लेटती , तो चारों बारी - बारी से उसके पांव दबाती , वह स्नान करके उठती , तो उसकी साड़ी छांटती । सारा घर उसके इशारे पर चलता था । बड़ा लड़का कामता एक दफ्तर में ५० रु . पर नौकर था , छोरा उमानाथ डॉक्टरी पास कर चुका था और कहीं ओषधालय खोलने की फ़िक में था , तीसरा दयानाथ बी . ए . में फेल हो गया था और पत्रिकाओं में लेख लिखकर कुछ - न - कुछ कमा लेता था , चौथा सीतानाथ चारों में सबसे कुशाग्र और होनहार था और अबकी साल बी.ए. प्रथम श्रेणी में पास करके एम.ए. की तैयारी में लगा हुआ था । किसी लड़के में वह दुर्व्यसन , वह छैलापन , वह लुटाऊपन न था

THAKUR KA KUAN || MUNSHI PREMCHAND SOTORY ||IN ENGLISH

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Thakur's well was planted by Jokhu with a lotta mouth, so there was a strong smell in the water.  Gangi said, 'What kind of water is this?  Can not drink due to bad smell .  Throat is being drained and you feed them rotten water.  'Gangi used to fill water everyday in the evening.  The well was away, it was difficult to go again and again.  Yesterday she brought water, so there was no smell in her, how could the smell stink in the water today!  He placed the small pot close to the nose, the smell was really bad .  Surely some animal must have fallen into the well and died, but where else can the water come from?  Who will allow Thajur to climb the well?  People from far away will tell you scolding.  Sahu's well is at that end of the village, but there are alsoWill fill  There is no well in the village.  Jokhu has been ill for several days.  For a while, he stopped silent while thirsty, and then said, 'Now I am no longer thirsty.  Bring, drink some water with a nose

ठाकुर का कुआ || munshi premchand story || in hindi

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जोखू ने लोटा मुंह से लगाया , तो पानी में सख़्त बदबू आयी । गंगी से बोला , ' यह कैसा पानी है ? मारे बास के पिया नहीं जाता । गला सूखा जा रहा है और तू सड़ा पानी पिलाये देती है । ' गंगी प्रतिदिन शाम को पानी भर लिया करती थी । कुआँ दूर था , बार - बार जाना मुश्किल था । कल वह पानी लायी , तो उसमें बू बिल्कुल न थी , आज पानी में बदबू कैसी ! लोटा नाक से लगाया , तो सचमुच बदबू थी । ज़रूर कोई जानवर कुएँ में गिरकर मर गया होगा , मगर दूसरा पानी आवे कहां से ? ठाजुर के कुएं पर कौन चढ़ने देगा ? दूर से लोग डांट बतायेंगे । साहू का कुआं गांव के उस सिरे पर है , परन्तु वहां भी कौन पानीभरने देगा ? कोई कुआं गांव में है नहीं । जोखू कई दिन से बीमार है । कुछ देर तक तो प्यास रोके चुप पड़ा रहा , फिर बोला , ' अब तो मारे प्यास के रहा नहीं जाता । ला , थोड़ा पानी नाक बंद करके पी तूं । ' गंगी ने पानी न दिया । खराब पानी पीने से बीमारी बढ़ जायेगी- इतना जानती थी , परन्तु यह न जानती थी कि पानी को उबाल देने से उसकी खराबी जाती रहती है । बोली , ' यह पानी कैसे पियोगे ? न जाने कौन जानवर मरा है । कुएं से मैं दूसरा